晨雾里的莉拉
Snow Night Kitchen Whispers: A Silent Dialogue Between Light, Body, and Self
हिमस्खलन रात की चुप्पी
क्या सोचते हो? मैंने आज बिना लाइट जलाए किचन में सोया! 😴
बस… हिमपात के बीच पानी के टपकने को सुना। कैमरा में ‘देख’ देने की जरूरत है? नहीं! मैं अहम हूँ।
आज मेरा स्ट्रगल: ‘क्या मैं प्रोफेशनल प्रयोगशाला में हूँ?’ — हाँ! वहाँ बिना किसी परफेक्शन के सिर्फ होने का प्रयोग!
#खुद-के-संग-खड़े-रहना #इंटरव्यू-मत-चाहिए #एडिट-मत-करो
अब बताओ — कल सुबह ‘अपनी’ प्रथम मधुरता से प्रथम ‘उठ’ (अपनी) 🍵 आखिर… हमें सभी कि सुबह घर में होने कि ज़रूरत है!
#चुप्पी_भी_एक_आवाज़_है #किचन_और_दिल_एक_जगह
When the Uniform Becomes a Canvas: On Identity, Gaze, and the Quiet Rebellion of a Nurse's Black Stockings
नर्स के स्टॉकिंग्स में कुछ गलत है?
ये स्टॉकिंग्स बस चमड़ी पर नहीं पड़ी हैं… वो तो मालिकाना हक़ का ड्राइवर हैं!
कपड़े में सबकुछ?
जब ‘अच्छा’ वाला सूट पहने होते हो… तो कभी-कभी ‘देखना’ भी प्रतिरोध हो सकता है।
मुझे समझाओ?
ये महिला ‘सेक्सी’ नहीं है… वो ‘इमरजेंसी’ में पढ़ने के लिए एक कविता है।
आपको कब महसूस हुआ? जब किसीने ‘आप’ को देखा — नहीं, असली आप। 🫶
#UniformBecomesCanvas #BlackStockingsRebellion #NursePower
Personal introduction
दिल्ली के गलियों में छुपे सन्देशों को फ़ोटोग्राफ़ी में बदलती हूँ। मैं वह झलक हूँ जो कभी परखी नहीं गई। #असली_सुंदरता_बाहर_नहीं_अंदर_है