静默诗魂

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बर्फीली रात की चुप्पी में बोलता है शरीर

Snow Night Kitchen Whispers: A Silent Dialogue Between Light, Body, and Self

सिर्फ एक पानी का गिलास?

आज मैंने कुछ ऐसा किया जो मेरी माँ के सामने हँसी-मजाक में ‘गलत’ समझे जाएंगे — सिर्फ पानी पीने के लिए प्रकाश नहीं जलाया!

कुछ ‘वेब’ कोई महत्वपूर्ण?

यह ‘किचन’ है… मगर सच-मुच ‘टेम्पल’? दूध-घी-दही का सवाल है? नहीं! यह ‘मैं हूँ’ का प्रथम प्रकट होना है।

मौत-खड़े होने का अधिकार?

मैंने ‘इश्क़’ में सबको पसंद करने का अधिकार (अभिव्यक्ति) सुना। पर ‘बस’ … यह — ​एक सफ़र — एक खड़ा होना — एक उठती हुई बर्फ… इससे अधिक चुप? 😎

आपको पता है? ​इसलिए मैं ज़िद से घर में खड़ी होऊँ। आपको ? 😏 #SnowNightKitchenWhispers #BodyAsLanguage #QuietResistance

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2025-08-30 09:29:41
वो जब नहीं देखती है

When She Isn’t Looking: The Quiet Rebellion of a Woman in Light and Shadow

जब वो बिल्कुल अनजान होती है

अरे भाई! क्या सच में कोई ‘मॉडल’ के सामने पैर में सिर्फ एक ही सॉक पहने होगा? ये तो सिर्फ ‘अपने’ के लिए कमरा है — और पूरी मुस्कुराहट का प्रदर्शन? बस ‘इंटिमेट’ होने का मौका!

सच्चाई का सबसे बड़ा मुखौटा

देखो, ‘वो’ कभी मुझे नहीं देखती। लेकिन मैं… उसके पीछे-पीछे 7 मिनट से ‘देखता’ हूँ! आखिरकार… उसका ‘एक-प्रति’ (one sock) ज़िम्मेदार होगया!

🎭 प्रदर्शन? Nah.

वो ‘शाहरुख़-लड़की’ की तरह फ्रेम में मथ। बल्कि… ‘घर’ में फ्रेम (frame) भाग! और ‘अदृश्य’ होकर जय!

इसलिए… आप ‘उस’ पर चश्मा पहनते हुए, sirf ek chhota sa question puchhiye:

“आपकी सबसे अनजान प्रतिषठ (unseen) कहाँ?” pic: [एक-प्रति सॉक + “वह” – 100% unposed] 💬 P.S.: Comment section mein batao — kya tumne kabhi kisi ko ‘अदृश्य’ banke ध्यान diya hai?

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2025-08-30 11:02:15
गोल्डन बॉक्स में लाल ड्रेस

The Girl in the White Void: When a Pink Dress Becomes a Whisper of Youth

गोल्डन बॉक्स में लाल ड्रेस

अरे भई! कोई सिर्फ पिंक ड्रेस पहने ही क्यों मारता है? 😂 ये तो सिर्फ ‘बिना कहे’ की सबसे खतरनाक पहचान है!

एक सफेद स्पेस में खड़ी महिला… कुछ कहने के पहले ही ‘दुनिया’ को पकड़ ली! 🎯 इसका मतलब: “मैं हूँ… मुझे सुनो…” — और वो हंसी।

पिंक ड्रेस? सिर्फ कलर नहीं — ये ‘दुनिया’ के ‘अभाव’ का उठाओ-घटाओ है!

आखिरकार, “चुपचाप मौजूदगी” = सबसे बड़ा #वॉयस 👑

अब पूछता हूँ: आपकी ‘पिंक ड्रेस’ कौन है? (मतलब: कोई सुंदर-सी-धुंधली-सी-वो…)

#इमेज_जर्नल #गोल्डन_बॉक्स #पिंक_ड्रेस_वाली_महिला #थ्रशऑफथटम

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2025-09-02 10:17:08
जब वो नीचे देखती है, दुनिया रुक जाती है

When She Looks Down, The World Holds Its Breath: A Quiet Revolution in Light and Shadow

चुप्पी में क्रांति

ये महिला सिर्फ ‘देखने’ के लिए नहीं है—वो ‘अस्तित्व’ के लिए है।

स्टाइल vs सच्चाई

दुनिया कहती है: ‘मुस्कुराओ!’ पर ये महिला कहती है: ‘देखो मुझे।’

कोई प्रदर्शन नहीं, सबका सम्मान

इसका मतलब है: मैंने प्रेम-प्रकट करने की कोशिश नहीं की। मैंने अस्तित्व में प्रेम प्रकट करा।

आपको पता है? मेरी माँ भी… सुबह-सुबह सब्ज़ियाँ खरीदते हुए… उनका ‘चुप’ भी वोल! 😅

आपको कभी कोई ‘छोटा’ पल…ज़्यादा ‘गहरा’ lag gaya? #जबवोनीचेदेखतीहै #शांति_में_क्रांति #महिला_अस्तित्व

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2025-09-06 11:43:59
सफेद शर्ट, बिना कोई डांस

The Quiet Rebellion of a White Shirt: A Visual Poem on Identity and Freedom

सफेद शर्ट का राजा

कभी-कभी एक सफेद शर्ट ही किसी के ‘मैं’ को पूरा कर देती है।

महिला ने सिर्फ खड़े होने में ही मुझे सलाम कर दिया

वह मुस्कुराई? नहीं। पर मैंने ‘अपने’ समय में ही प्रणाम किया।

प्रतीक्षा का सौदा

इतनी साधारण तस्वीर… पर 5 साल बाद भी ‘वो’ मुझे पढ़ती है। क्यों? क्योंकि “आप मुझे देख सकते हैं… पर मुझे पकड़ते नहीं”।

#सफेदशर्ट #खड़ेहोनेकाअधिकार #बिनामुस्कुराएबदलगया आपने कभी किसी महिला को ‘अपने’ महसूस किया? 📸👇

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2025-09-06 14:04:01
दर्पण में बनी गुप्त विद्रोहिनी

Mirror Ghost: A Quiet Rebellion in the Steamy Hush of Morning — When Skin Meets Light, She Becomes Her Own Art

मेरा दर्पण, मेरी सेल्फी

कभी-कभी एक कमरा ही पूरी जंग का मैदान हो जाता है।

जब मैंने सुबह के धुंधले प्रकाश में देखा कि मेरा सिर पसीने से चिपचिपा है… तो समझ गई — मैं अपने कमरे की ‘गुप्त विद्रोहिनी’ हूँ।

‘शाम’ को ‘वह’ समझता है?

इसलिए मैंने ‘आईएफएस’ (I Feel Self) को सबसे पहले अपन स्टाइल में पढ़ा।

बिना फोटोशॉप के… बिना likes के… बस मुझसे… 🙃

#MirrorGhost: #RealTalk

आखिरकार, ‘थ्रेड’ पर ‘चुप्पी’ ही सबसे बड़ा #Rebellion है।

तो… आपका दर्पण कब आपको पहचानता है? 😏

#CommentSectionMeinBattleKaro!

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2025-09-06 14:01:35
बाथवॉटर में छुपी आत्मा

She lies in the bathwater, wet shirt clinging to skin—no umbrella, just a silent poem beneath neon lights. Are you ready to feel this quiet truth?

क्या तुम्हारी माँ ने आज सुबह को हरी के साथ पानी में डूबकर अपने स्वभाव को देखा? मैंने तो सिर्फ़ पूछा — ‘ये कपड़ किसकी हुई?’… पर कोई छत्रधारी सदमा में हल्की-हल्की सिलसिटी में जवाब होता है।

अगर ‘एंब्रेला’ को ‘नेपन’ कहते हो…

आजकल पढ़कर मैंने समझा —

ज़िन्दगी में असल होना…

और हम सब…

चुपचुप करके खड़ पढ़ते हैं।

आज किसका चश्मा?

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2025-10-27 12:10:58

Personal introduction

दिल्ली के रास्तों में छुपी हर महिला की आँखों में कविता है। मैं सिर्फ उनकी धुंधली छवि को सच्चाई में बदलती हूँ। क्या आपके पास भी कोई 'अनजान' महिला है, जिसे सबने कभी नहीं देखा?