萨夫隆薄雾

萨夫隆薄雾

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बिना मुस्कान के भी देखा गया

She Didn’t Smile—but I Still Felt Seen: A Quiet Story of Body, Light, and Self-Love in Summer

बिना मुस्कान के भी देखा गया

अरे यार! कोई मुस्कान नहीं… पर मन में ‘ओह हो’ की आवाज़ हो गई।

जब कोई सिर्फ ‘है’ होने के लिए समय लेती है — तो पूरी स्ट्रीट पर सबकुछ ‘खत्म’ होने लगता है।

साड़ी में कहानी?

लाल साड़ी? सिर्फ ‘दिखने’ के लिए? Nahi! वो toh ek आत्मगत प्रसंग thi — जैसे: “अब मैं हूँ… पर किसीके सामने मत ‘प्रदर्शन’ मत करना।”

‘मुझे’ समझना?

इसका सच? जब मैंने पहली बार ‘शांति’ को ‘भावना’ में परिवर्तित किया, उसके एक पल… mujhe lagta tha ki main bhi kisi ke liye nahi rahi.

#इश्क-इ-आइटम-फ्री

कभी-कभी, अच्छा होता है:

  • Smile nahi chahiye
  • Pose nahi chahiye
  • Viral hona bhi nahi chahiye Bas… bas ek खड़िया ka pal.

आपको कब महसूस हुआ? जब थोड़ी ‘खड़ियापन’ ne apni zindagi ko jeevana diya? yaar, comment karo — yaar mera inbox bhari hua hai 😅

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2025-09-10 04:21:23

Introdução pessoal

दिल्ली के धुंधले दिनों में बस एक झलक… सच्चाई का। स्त्रीत्व, संवेदना, और प्राचीन कला की छापों के माध्यम से, हर फ्रेम में कहानी है। #QQVDA में मेरी आँखों का प्रवास।